Generation of Computer in Hindi (कंप्यूटर की पीढ़ी का परिचय) ll Computer Generations in HIndi ll #idealcomputerinstitute
आज के समय के कंप्यूटर काफी मॉडर्न और एडवांस देखने को मिलते है। लेकिन पुराने समय के कंप्यूटर इतने modern (आधुनिक) और advance नहीं हुआ करते थे। लेकिन बदलते समय के साथ कंप्यूटर के क्षेत्र में सुधार हुआ। जिसमें काफी समय लगा। पहले के कंप्यूटर आकार में बहुत बड़े हुआ करते थे। लेकिन आज के कंप्यूटर साइज़ में भी बहुत छोटे होते है और इनकी speed (गति) भी तेज होती है |
सन् 1946 में प्रथम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, वैक्यूम ट्यूब (Vacuum Tube) युक्त एनिएक कम्प्यूटर की शुरूआत ने कम्प्यूटर के विकास को एक आधार प्रदान किया कम्प्यूटर के विकास के इस क्रम में कई महत्वपूर्ण डिवाइसेज की सहायता से कम्प्यूटर ने आज तक की यात्रा तय की। इस विकास के क्रम को हम कम्प्यूटर में हुए मुख्य परिवर्तन के आधार पर निम्नलिखित पॉंच पीढि़यों में बॉंटते हैं:-
1-कम्प्यूटरों की प्रथम पीढ़ी (First Generation Of Computer) :- 1946-1956 कंप्यूटर की प्रथम पीढ़ी की शुरुआत सन् 1946 में एकर्ट और मुचली के एनिएक (ENIAC-Electronic Numerical Integrator And Computer) नामक कम्प्यूटर के निर्माण से हुआ था इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों में वैक्यूम ट्यूब का प्रयोग किया जाता था जिसका आविष्कार सन् 1904 John Ambrose Fleming ने किया था इस पीढ़ी में एनिएक के अलावा और भी कई अन्य कम्प्यूटरों का निर्माण हुआ जिनके नाम एडसैक (EDSEC – Electronic Delay Storage Automatic Calculator), एडवैक (EDVAC – Electronic Discrete Variable Automatic Computer ), यूनिवैक (UNIVAC – Universal Automatic Computer), एवं यूनीवैक – 1 (UNIVAC – 1) हैं।
प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर आकार में बहुत बड़े होते थे इनकी Speed बहुत ही Slow होती थी और मेमोरी भी कम होती थी इसी कारण इन कंप्यूटर में डाटा को स्टोर करके नहीं रखा जा सकता था इन कंप्यूटर की कीमत बहुत अधिक होने के कारण ये कंप्यूटर आम जनता की पहुँच से दूर थे|
प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटरों के निम्नलिखित लक्षण थे:-
- वैक्यूम ट्यूब का प्रयोग
- पंचकार्ड पर आधारित
- संग्रहण के लिए मैग्नेटिक ड्रम का प्रयोग
- बहुत ही नाजुक और कम विश्वसनीय
- बहुत सारे एयर – कंडीशनरों का प्रयोग
- मशीनी तथा असेम्बली भाषाओं में प्रोग्रामिंग
कम्प्यूटरों की द्वितीय पीढ़ी (Second Generation Of Computers) :- 1956-1964 कंप्यूटर की प्रथम पीढ़ी के बाद सन् 1956 में कंप्यूटर की द्वितीय पीढ़ी की शुरूआत हुई इन कम्प्यूटरों में Vacuum tube (वैक्यूम ट्यूब) के स्थान पर Transistor(William Shockley, John Bardeen and Walter Brattain.) (ट्रॉजिस्टर) का उपयोग किया जाने लगा| विलियम शॉकले (William Shockley) ने ट्रॉंजिस्टर का आविष्कार सन् 1947 में किया था जिसका उपयोग द्वितीय पीढ़ी के कम्प्यूटरों में वैक्यूम ट्यूब के स्थान पर किया जाने लगा। ट्रॉंजिस्टर के उपयोग ने कम्प्यूटरों को वैक्यूम ट्यूबों के अपेक्षाकृत अधिक गति एवं विश्वसनीयता प्रदान की| Transistor (ट्रॉजिस्टर) के आने के बाद कंप्यूटर के आकार में भी सुधार आया द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर से आकार में छोटे हो गए|
द्वितीय पीढ़ी के कम्प्यूटरों के निम्नलिखि
त मुख्य लक्षण थे:-
- वैक्यूम ट्यूब के बदले ट्रॉजिस्टर का उपयोग
- अपेक्षाकृत छोटे एवं ऊर्जा की कम खपत
- अधिक तेज एवं विश्वसनीय
- प्रथम पीढ़ी की अपेक्षा कम खर्चीले
- COBOL एवं FORTRAN जैसी उच्चस्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओं का विकास
- संग्रहण डिवाइस, प्रिंटर एवं ऑपरेटिंग सिस्टम आदि का प्रयोग
कम्प्यूटरों की तृतीय पीढ़ी (Third Generation of Computer) :- 1965-1971 कम्प्यूटरों की तृतीय पीढ़ी की शुरूआत 1964 में हुई। इस पीढ़ी ने कम्प्यूटरों को IC (आई.सी.) प्रदान किया | आई.सी. अर्थात् एकीकृत सर्किट (Integrated Circuit) का आविष्कार टेक्सास इन्स्ट्रमेंन्ट कम्पनी (Texas Instrument Company) के एक अभियंता जैक किल्बी (Jack Kilby) ने किया था। इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों में ICL 2903, ICL 1900, UNIVAC 1108 और System 1360 प्रमुख थे।
I.C. INVENTOR –
(1) JACK KILBY
(2) RABERT NOYCE
(3) FRANK WANLASS
(4) EDWARD KEONJIAN
तृतीय पीढ़ी के कम्प्यूटरों के निम्नलिखित मुख्य लक्षण थे:-
- एकीकृत सर्किट (Integrated Circuit) का प्रयोग
- प्रथम एवं द्वितीय पीढि़यों की अपेक्षा आकार एवं वजन बहुत कम
- अधिक विश्वसनीय
- पोर्टेबल एवं आसान रख-रखाव
- उच्चस्तरीय भाषाओं का बृहद् स्तर पर प्रयोग
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर की विशेषताएँ – ये कंप्यूटर इंटीग्रेटेड सर्किट (ICs) का उपयोग करके बनाए गए थे। इन कंप्यूटरों पर प्रोग्रामिंग के लिए उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओं का उपयोग किया जाता था। मेमोरी स्टोरेज के लिए बड़े चुंबकीय कोर और चुंबकीय टेप/डिस्क का उपयोग किया गया था। मैग्नेटिक टेप, मॉनिटर, कीबोर्ड, प्रिंटर आदि का उपयोग इनपुट/ आउटपुट डिवाइस के रूप में किया जाता था ।तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर के कुछ उदाहरण – IBM 360, IBM 370, PDP-11, NCR 395, B6500, UNIVAC 1108 आदि हैं।
कम्प्यूटरों की चतुर्थ पीढ़ी (Fourth Generation Of Computers) :- 1971-1985 1972 से 2010 तक का समय कंप्यूटर की चौथी पीढ़ी का काल माना जाता है। चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर को विकसित करने के लिए माइक्रोप्रोसेसर तकनीक का उपयोग किया गया था।
Microprocessor Inventors –
(1)FEDERICO FAGGIN
(2) MARCIAN HOFF
(3) STANLEY MAZOR
(4) MASATOSHI SHIMA
इन कंप्यूटरों का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि माइक्रोप्रोसेसर में एक चिप पर अंकगणित, तर्क और नियंत्रण कार्य करने के लिए आवश्यक सभी सर्किट शामिल हो सकते हैं। चौथी पीढ़ी में कंप्यूटर आकार में बहुत छोटे हो गए और पोर्टेबल भी हो ALTAIR 8800 सबसे पहला माइक्रो कम्प्यूटर था जिसे मिट्स (MITS) नामक कम्पनी ने बनाया था। इसी कम्प्यूटर पर बिल गेटस (Bill gates), जो उस समय हावर्ड विश्वविद्यालय के छात्र थे, ने बेसिक भाषा को स्थापित किया था। इस सफल प्रयास के बाद गेट्स ने माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी की स्थापना की जो दुनिया में सॉफ्टवेयर की सबसे बड़ी कम्पनी हैं। इस कारण, बिल गेट्स को दुनिया-भर के कम्प्यूटरों का स्वामी (Owner Of Computers) कहा जाता हैं
इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों के निम्नलिखित मुख्य लक्षण हैं–
- अतिविशाल स्तरीय एकीकरंण (Very Large Scale Integration) तकनीक का उपयोग।आकार में अद् भुत कमी।
- साधारण आदमी की क्रय-क्षमता के अंदर।
- अधिक प्रभावशाली, विश्वसनीय एवं अद् भुत गतिमान।
- अधिक मेमोरी क्षमता।
- कम्प्यूटरों के विभिन्न नेटवर्क का विकास।
चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर की विशेषताएँ– चौथी पीढ़ी के कंप्यूटरों को वेरी-लार्ज-स्केल इंटीग्रेशन (वीएलएसआई) और माइक्रोप्रोसेसर (वीएलएसआई में एक माइक्रोचिप पर हजारों ट्रांजिस्टर होते हैं) की तकनीक का उपयोग करके विकसित किया गया है। मेमोरी स्टोरेज के लिए सेमीकंडक्टर मेमोरी जैसे RAM, ROM आदि का उपयोग किया जाता था। पॉइंटिंग डिवाइस, ऑप्टिकल स्कैनिंग, कीबोर्ड, मॉनिटर, प्रिंटर आदि जैसे इनपुट/आउटपुट डिवाइस पेश किए गए। चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर के कुछ उदाहरण – IBM PC, STAR 1000, APPLE II, Apple Macintush, Alter 8800, आदि हैं।
कम्प्यूटरों की पंचम पीढ़ी (Fifth Generation of Computer) :- 1985 – अब तक कंप्यूटर की पांचवी पीढ़ी की शुरुआत 1985 से हुई | 1985 से अब तक के कंप्यूटर पांचवी पीढ़ी के अंतर्गत आते हैं कंप्म्प्यूटरों की पॉंचवीं पीढ़ी में वर्तमान के शक्तिशाली एवं उच्च तकनीक वाले कम्प्यूटर से लेकर भविष्य में आने वाले कम्प्यूटरों तक को शामिल किया गया हैं। इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों में कम्प्यूटर वैज्ञानिक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) को समाहित करने के लिए प्रयासरत हैं। आज के कम्प्यूटर इतने उन्नत हैं कि वे हर विशिष्ट क्षेत्र, मूल रूप से अकाउन्टिंग, इंजिनियरिंग, भवन-निर्माण, अंतरिक्ष तथा दूसरे प्रकार के शोध-कार्य में उपयोग किये जा रहे हैं।
पाँचवीं पीढ़ी के कम्प्यूटर की विशेषताएँ –5वीं पीढ़ी के कंप्यूटर कृत्रिम बुद्धिमत्ता के आधार पर बनाए गए हैं, अल्ट्रा लार्ज-स्केल इंटीग्रेशन (ULSI) तकनीक और समानांतर प्रसंस्करण विधि का उपयोग करते हैं (ULSI में एक माइक्रोचिप पर लाखों ट्रांजिस्टर होते हैं और समानांतर प्रसंस्करण विधि कार्यों को चलाने के लिए दो या अधिक माइक्रोप्रोसेसरों का उपयोग करती है)